राजा और माली


 एक राजा को बागवानी का बहुत  शौक था और इसी शौक़ के चलते उन्होंने एक बढ़िया बगीचा का निर्माण करवाया और वहा एक माली को बगीचा के देख भाल के लिए काम पर रख लिया. उस बगीचे में कुछ समय के बाद काफी फल - फूल आने लगे और वह माली जिसे बागान के देखभाल के लिए रखा था, वह राजा जी के लिए रोज मीठे फल एव पुष्प लेकर जाया करते थे, एक दिन उस बगीचे में बहुत सारे फल लगे थे जैसे- नारियल, सेव, अनार, नाशपाती, अंगूर, अमरुद आदि माली उस दिन सोचने लगा और काफी विचार करने के बाद अंगूर तोड़कर माली ने राजा जी के सामने प्रस्तुत किया और वही कोने में जाकर बैठ गया उस समय राजा कुछ सोच रहे थे और सोचते हुए एक अंगूर खाता और दुसरे अंगूर से माली को दे मारते है, माली कहता जैसे प्रभु की इच्छा राजा जी फिर अंगूर खाते और दुसरे अंगूर से माली को दे मारते और माली कहता जैसे प्रभु की इच्छा ऐसे ही काफी समय के बाद जब राजा जी को लगा की माली कुछ बोल रहा है और राजा जी माली से पूछता है क्या बोल रहे हो. माली कहता है जैसे प्रभु की इच्छा तभी राजा माली से कहता है मै तुम्हे अंगूर से मार रहा हूँ और तुम कहते हो जैसे प्रभु की इच्छा... तभी माली कहता है राजन आज मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की आपके लिए क्या फल लेकर आऊ बागान में काफी सारे फल थे जैसे - नारियल, सेव, अनार, नाशपाती, अंगूर, अमरुद आदि लेकिन पता नहीं ऐसा क्या हुआ की आज मैंने आपके लिए अंगूर लेकर आया हूँ, और तभी आप कुछ विचार कर रहे थे और एक अंगूर को आप खाकर दुसरे अंगूर से आप मुझे मार रहे थे, किन्तु यदि मैं आज नारियल लेकर आया होता तो सोचिये आज मेरा क्या हाल होता इसीलिए मैं कह रहा था जैसे प्रभु की इच्छा. 

इसीलिए जो भी होता है सब प्रभु की इच्छा से ही होता है... 

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