Output Devices
Output
Devices
1. Monitor :- Monochrome and Color Display Devices .Mono का अर्थ हैं Single (एकल) और Chrome का अर्थ हैं ब्वसवत (रंग) इसीलिए Monochrome Display Device एकल रंग के Monitor होते हैं। जैसे Black and white T.V. .
Color Monitor रेड-ग्रीन-ब्लू -RGB प्रकार का होता हैं। Red Green Blue प्रकार के कारण उच्च रेजोलूशन (Resolution) का Output Display हो सकता हैं। कम्प्यूटर मे पर्याप्त RAM –Random Access Memory के उपलब्ध होने पर इस Monitor में हम 8 से 16,000,000 तक रंगों को Display कर सकते हैं।
VGA:. Video Graphic Adapter
CRT: Cathode Ray Tube
LCD: Liquid Crystal Display
VDU: Video Display Unit
LED: Light Emitting Diode
2. Plotter- यह एक Output Device हैं जो चार्ट (Charts) चित्र (Drawing) त्रिविमीय नक्शे (Map) रेखाचित्र और अन्य प्रकार की हार्डकाॅपी प्रस्तुत करने का कार्य करता हैं।
Plotter दो प्रकार के होते हैं-
(a)Drum
plotter
(b)
Flatbed plotter
यह Printer होता हैं तथा इसमें बैनर की सतह पर आकृति तैयार करते हैं।
3.Head phone - यह Output Device हैं इससे एक ही व्यक्ति Microspeaker के द्वारा रिकार्डिंग सुना जाता हैं तथा यह केवल एक व्यक्ति तक ही सीमित होता हैं।
4. Sound blast – Output Device हैं। इसके माध्यम से आवाज रिकार्डिंग करने के बाद या रिकार्डिंग किया हुआ सुना जाता हैं। यह Sound Blast को पूरे लोग मनोरंजन के माध्यम बनाकर सुनते हैं।
5. Printer – Printer एक Output Device हैं, जो Output को कागज पर छापकर प्रस्तुत करता हैं।
Printer दो प्रकार के होते हैं-
(a)Impact
(b)Non-Impact
(a) Impact printer चार प्रकार के होते हैं-
(i) DMP (Dot matrix
printer)
(ii) Drum printer
(iii) Chain printer
(iv) Daisy wheel printer
(i) DMP (Dot Matrix printer) यह एक mpact printer हैं। इस प्रिंटर के प्रिंट हैंड में अनेक पिनों का एक Matrix होता हैं और प्रत्येक पिन के रिबन और कागज पर स्पर्ष से एक डाट छपता हैं। Dot matrix printer की प्रिंटिंग गति 30 से 600 कैरेक्टर प्रति सेकण्ड (CPS – Character per second) होते हैं।
(ii) Drum Printer: ड्रम प्रिंटर में तेज घुमने वाला एक ड्रम होता है। जिसकी सतह पर अक्षर उभरे रहते हैं। एक बैण्ड पर सभी अक्षरों का एक समूह होता हैं। ऐसे अनेक बैण्ड संपूर्ण ड्रम पर होते हैं।
(iii)Chain Printer: इस प्रिंटर में तेज घूमने वाली एक Chain होती हैं जिसे Printer Chain कहते हैं। Chain में Character होते हैं। प्रत्येक कडी में एक Character का फाॅन्ट होता हैं। प्रत्येक प्रिंट Position पर हैमर्स (Hammers) लगे रहते हैं।
(iv)Daisy wheel printer यह मुद्रा अक्षर वाला Impact printer हैं। इसका नाम डेजीव्हील इसलिए दिया गया है कि इसके प्रिंट हैड की आकृति एक पुष्प डेजी (गुलबहार) से मिलती हैं।
(b)Non-Impact printer: इस प्रिंटर में प्रिंट और कागज के बीच संपर्क नहीं होता हैं Non Impact printing की अनेक विधियाॅ हैं।
जैसे-
(i) Electro-Internal
(ii) Inkjet Printer
(iii) Laser Printer
(iv) Thermal Transfer Printer
(i)Electro thermal Printing- इसमें एक विशेष कागज पर Character को गरम राॅड (Head Rod) वाले प्रिंट हैड से चलाया जाता हैं। ये प्रिंटर सख्त होते हैं और इनके लिए विशेष कागज की आवश्यकता होती हैं।
(ii)Inkjet – इंक जेट प्रिंटर एक Non Impact Printer हैं जिसमें एक Nozzle से कागज पर स्याही की बुंदो की बौछार (Spray) करके Character और आकृतियाॅ छापी जाती हैं।
(iii)Laser Printer- Non Impact page printer हैं। Laser printer का उपयोग सिस्टम में 1970 के दशक से हो रहा हैं। पहले ये मेनफ्रेम कम्प्यूटर में प्रयोग किये जाते थे।
Laser printer पृष्ट पर आकृति Image को जेरोग्राफी (Xerography) तकनीक से ये छापता हैं। Xerography तकनीक का विकास जेराक्स (Xerox) मशीन के लिये हुआ था।
(iv)Thermal transfer printer- यह एक नई तकनीक का प्रिंटर हैं जिसमें कागज पर वैक्स आधारित रिबन (Wax Based Ribben) से स्याही का तापीय स्थातरण होता हैं।
D. Control Unit- का कार्य computer की Input & Output को Device को कण्ट्रोल में रखना है। Input युक्तियों को प्राप्त करना इन्हें Computer के समझने योग्य संकेतो में बदलना एवं Output में प्रदर्शित करना हैं।
कंट्रोलर के कार्य-
1. सर्वप्रथम इनपुट युक्तियों की सहायता से सुचना/आंकडे/ डेटा को कंट्रोलर तक लाना।
2. कंट्रोलर द्वारा सुचना/आंकडे/ डेटा को मेमोरी में उचित स्थान प्रदान करना।
3.स्मृति से Data पुनः Control में लाना एवं इन्हें ALU को भेजना।
4. ALU से प्राप्त परिणामों को Output युक्तियों पर भेजना एवं स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना।
E. Arithmetic Logic Unit:- Computer अंकगणितीय के दो प्रमुख सिध्दांत हैं-पहला,सभी तरह का अंकगणित (जोड,घटाना,गुणा,भाग) एक तरह के जोड द्वारा कर लिया जाता हैं दूसरा,ऐसा करने के लिए हमें 1 व 0 के अंकों कों जोडना होता हैं जिससे 1 अंक प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हासिल और पुरक भी प्राप्त कर लेते हैं।

Comments
Post a Comment