संकलन माता-पिता
बहुत मुश्किल है बाबुजी के बड़प्पन की कहानी लिखना
उतना ही जितना बहते पानी में पानी लिखना
आज समाज में जो मेरी शोहरत है
बाबूजी की आशीर्वाद की बदौलत है
बाबूजी के रहमतो की क्या गिनती
उनके उपकारो का कोई हिसाब नहीं
मैं लिख सकूँ उनके बड़प्पन की बाते
मेरी इतनी बड़ी भी ये किताब नहीं
कभी नम ना हो, माता पिता कि आंखे
छत से पानी टपके तो दीवारें कमजोर हो जाती है
फुर्सत मिले तो बैठा करो माता पिता के पास
चंद लम्हों के बदले बरसो का तजुर्बा मिलता है
हमेशा छाव देने वाले माता पिता की क़द्र किया करो
नहीं तो धुप एक दिन तुम्हारा नशीब बन जायेगी
नजर अंदाज मत करना उन्हें कभी
जो तुम्हारा परवाह किया करते है
कही ऐसा न हो की खुद ही महसूस करने लगो
की पत्थर जमा करते करते, मैंने जीवन का कोहिनूर खो दिया.
माता पिता के बिना कोई घर न हो
और कोई माता पिता कभी बेघर न हो
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