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Showing posts from 2021

#नालायक

#नालायक देर रात अचानक ही पिता जी की तबियत बिगड़ गयी...!!"** आहट पाते ही उनका "नालायक" बेटा उनके सामने था। माँ ड्राईवर बुलाने की बात कह रही थी, पर उसने सोचा अब इतनी रात को इतना जल्दी ड्राईवर कहाँ आ पायेगा...??? यह कहते हुये उसने सहज जिद और अपने मजबूत कंधो के सहारे बाऊजी को कार में बिठाया और तेज़ी से हॉस्पिटल की ओर भागा... बाउजी दर्द से कराहने के साथ ही उसे डांट भी रहे थे "धीरे चला नालायक, एक काम जो इससे ठीक से हो जाए...!" नालायक बोला "आप ज्यादा बातें ना करें बाउजी, बस तेज़ साँसें लेते रहिये, हम हॉस्पिटल पहुँचने वाले हैं।"अस्पताल पहुँचकर उन्हे डाक्टरों की निगरानी में सौंप,वो बाहर चहलकदमी करने लगा... बचपन से आज तक अपने लिये वो नालायक ही सुनते आया था। उसने भी कहीं न कहीं अपने मन में यह स्वीकार कर लिया था की उसका नाम ही शायद नालायक ही हैं...! तभी तो स्कूल के समय से ही घर के लगभग सब लोग कहते थे की नालायक फिर से फेल हो गया...नालायक को अपने यहाँ कोई चपरासी भी ना रखे...! कोई बेवकूफ ही इस नालायक को अपनी बेटी देगा। शादी होने के बाद भी वक्त बेवक्त सब कहते रहते ह...

मीराबाई चानू की कहानी

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मीराबाई चानू की कहानी है उस समय उसकी उम्र 10 साल थी। इम्फाल से 200 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में गरीब परिवार में जन्मी और छह भाई बहनों में सबसे छोटी मीराबाई चानू अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थीं। एक दिन उसका भाई लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया, लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा लिया और वह उसे लगभग 2 किमी दूर अपने घर तक ले आई। शाम को पड़ोस के घर मीराबाई चानू टीवी देखने गई, तो वहां जंगल से उसके गठ्ठर लाने की चर्चा चल पड़ी। उसकी मां बोली, ''बेटी आज यदि हमारे पास बैल गाड़ी होती तो तूझे गठ्ठर उठाकर न लाना पड़ता।'' ''बैलगाड़ी कितने रूपए की आती है माँं ?'' मीराबाई ने पूछा ''इतने पैसों की जितने हम कभी जिंदगीभर देख न पाएंगे।'' ''मगर क्यों नहीं देख पाएंगे, क्या पैसा कमाया नहीं जा सकता ? कोई तो तरीका होगा बैलगाड़ी खरीदने के लिए पैसा कमाने का ?'' चानू ने पूछा तो तब गांव के एक व्यक्ति ने कहा, ''तू तो लड़कों से भी अधिक वजन उठा लेती है, यदि वजन उठाने वाली खिलाड़ी बन जाए तो ...

प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है

*प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है* *1-: प्रकृति का पहला नियम* यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे *घास-फूस* से भर देती हैं...!! ठीक उसी तरह से दिमाग में *सकारात्मक* विचार न भरे जाएँ तो *नकारात्मक* विचार अपनी जगह बना ही लेती है...! *2-: प्रकृति का दूसरा नियम* जिसके पास जो होता है...!! *वह वही बांटता है....!!* सुखी *सुख* बांटता है... दुःखी *दुःख* बांटता है.. ज्ञानी *ज्ञान* बांटता है.. भ्रमित *भ्रम* बांटता है.. भयभीत *भय* बांटता हैं......!! *3-: प्रकृति का तीसरा नियम* आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि *भोजन* न पचने पर रोग बढते है...! पैसा न *पचने* पर दिखावा बढता है...! बात न *पचने* पर चुगली बढती है...! प्रशंसा न *पचने* पर अंहकार बढता है....! निंदा न *पचने* पर दुश्मनी बढती है...! राज न *पचने* पर खतरा बढता है...! दुःख न *पचने* पर निराशा बढती है...! और सुख न *पचने* पर पाप बढता है...!

दिल को छू जाने वाली कहानी

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एक प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा "LOVE YOU ALL" बोला करतीं थी। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही । वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको फटी आंख भी नहीं भाता था। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान । पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता था। मेडम के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता, मगर उसकी खाली खाली नज़रों से साफ पता लगता रहता.कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे यानी (प्रजेंट बाडी अफसेटं माइड) .धीरे धीरे मेडम को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मेडम की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मेडम उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं। राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था। मेडम को वह एक बे...

कंफर्ट जोन छोड़

कंफर्ट जोन छोड़  एक बार एक बेटा 4000 का जूता ख़रीदा तब उनके पिता ने पूछा क्या करेगा ४००० का जूता को 500 का भी तो वैसे ही दौड़ता है, बेटा बोलता है पापा उस थ्री स्टार होटल में खाना कब खिलाओगे बाप बोलता है बेटा जिसकी हराम की कमाई होती है ना वो वहां खाते हैं क्या ये बात सही बोल रहा है बाप -       मैं आपसे पूछता हूँ क्या 100 प्रतिशत जो लोग 3 स्टार में खाना खाते हैं वो सब हराम की कमाई से खाते हैं क्या - पापा अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिये 90 प्रतिशत भारतीय ये ड्रामा अपने बच्चों के सामने करते हैं -  गड़बड़ क्या है जैसे ही आपको थोड़ी थोड़ी सफलता मिलती है आप कंफर्ट जोन नामक जगह में फंस जाते हैं यदि इंसान के रहने का कोई सबसे खतरनाक एड्रेस है तो वो है कंफर्ट जोन जो आदमी इसमें फंस गया तो उसका निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है और धीरे-धीरे आदमी बर्बाद हो जाता है। खास से आम हो जाता है कहीं आप भी इस एड्रेस में तो नहीं रह रहे हैं। यदि हो तो तुरंत सावधान हो जाईये और इससे बाहर निकलकर फिर से चैलेंज लीजिये और पहले से और ज्यादा सफलता हासिल किजीये।       जहाज ने राके...

परेशानियाँ जिसका सामना हर छोटे व्यापारी को करना होता है

  10 परेशानियाँ जिसका सामना हर छोटे व्यापारी को करना होता है(और इन्हें कैसे ठीक किया जाये) क्या आपने कभी भी किसी व्यापारी को आराम से उनका व्यवसाय चलाते देखा है ? बहुत काम , क्यों ?  क्योंकि व्यावसायिक समस्याओं को सुलझाने के लिए आपको होशियार बनना होगा | ऐसा अनुमान लगाया गया है की 40% छोटे व्यापारियों को अपना व्यवसाय पहले साल में हीं बंद करना पड़ता है और 50% व्यापारी 2 साल से अधिक अपना व्यवसाय नहीं चला   पाते और उन्हें   अपना व्यवसाय बंद करना पड़ता है | यह बहुत हीं दुखद सच है | व्यापारियों का जीवन तनाव और परेशानियों से भरा होता हैं पर अगर व्यवसाय को सही से चलाया जाये तो ढेरों उपहार मिलने की सम्भावना है | दरअसल काफी व्यावसायिक समस्याओं का समाधान उपलब्ध है | व्यापारियों को होने वाली 10 आम परेशानियाँ और उन्हें ठीक करने के तरीके यहाँ दिए गए हैं: 90% लोगों की यह आम परेशानी है | इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में आपका समय बहुत जल्दी ख़तम हो जायेगा | व्यवसाय चलाना बहुत हीं थकाऊ है और इसमें आपकी सोच से अधिक समय लगता है | अपने व्यवसाय का ख्याल रखने के लिए आपको एक साथ कई काम कर...