बेटी की विदाई
बेटी की विदाई कन्यादान हुआ जब पूरा , आया समय विदाई का हंसी खुशी सब काम हुआ था , सारी रस्म अदाई का बेटी के उस कातर स्वर ने , बाबुल को झकझोर दिया पुछ रही थी पापा तुमने , क्या सचमुच में छोड़ दिया अपने आँगन की फुलवारी , मुझको सदा कहा तुमने मेरे रोने को पल भर भी , बिल्कुल नहीं सहा तुमने क्या इस आँगन के कोने में , मेरा कुछ स्थान नहीं अब मेरे रोने को पापा , तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं नहीं रोकते चाचा ताऊ , भैया से भी आस नहीं ऐसे भी क्या उदासी है , कोई आता पास नहीं बेटी की बातों को सुनके , पिता नहीं रह सका खड़ा उमड़ पड़े आँखों से आँशु , बदहवास सा दौड़ पड़ा माँ को लगा गोद से कोई , मानो सब कुछ छिन चला फूल सभी घर की फुलवारी से , कोई ज्यों बिन चला बेटी के जाने पर घर ने , जाने क्या क्या खोया है कभी ना रोने वाले पिता भी आज, फुट - फुट कर रोया है source from Google